अक्टूबर में थोक महंगाई दर बीते 8 महीनों के उच्चतम स्तर पर क्यों पहुंचा?

देश में अक्टूबर महीने में WPI यानी होलसेल प्राइज इंडेक्स पर आधारित महंगाई दर बढ़कर 1.48 फीसदी हो गई है. यह दर सिंतबर 2020 में 1.32 फीसदी थी. यानी 0.16 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है. वहीं पिछले साल अक्टूबर में WPI शून्य फीसदी था. पिछले एक साल के दौरान इसमें लगातार तीसरी बार बढ़ोत्तरी हुई है. इसके साथ ही थोक महंगाई दर बीते 8 महीनों के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है.

क्या हैं इसके मायने?

वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के जारी आंकड़ों के मुताबिक अक्टूबर महीने में खाद्य पदार्थों का WPI घटकर 5.78 फीसदी हो गया है, जो सितंबर महीने में यह 6.92 पर था. मैन्युफैक्चरिंग उत्पादों की महंगाई दर सितंबर के 1.61 फीसदी की तुलना में यह बढ़कर 2.12 फीसदी पर पहुंच गया है. इसका मतलब यह हुआ कि अक्टूबर महीने में खाने-पीने के सामानों के दाम में कमी आई है. वहीं, मैन्युफैक्चरिंग उत्पादों के मूल्य में बड़ी तेजी देखने को मिली है.

अक्टूबर में खाद्य मुद्रास्फीर्ति घटकर 6.37 फीसदी रह गई है. सिंतबर में यह 8.17 फीसदी के स्तर पर थी. इसके साथ ही सब्जियों के दाम में 25.23 फीसदी और आलू के दाम में 107.70 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है. वहीं, गैर-खाद्य वस्तुओं की बात करें तो उनके दाम में 2.85 फीसदी इजाफा हुआ है. खनिजों के दाम 9.11 फीसदी बढ़ गए हैं. ईंधन और बिजली के दाम 10.95 फीसदी घट गए हैं.

कोरोना काल में एक लंबे लॉकडाउन के बाद देश में आर्थिक गतिविधियां शुरू हुई. मार्च के बाद अगस्त 2020 में पहली बार ये आंकड़े पॉजिटिव दायरे में आये थे. पिछले सप्ताह जारी आंकड़ों के मुताबिक अक्टूबर में खुदरा महंगाई दर 7.61 फीसदी रही थी. सब्जियों और दालों की कीमतों में बढ़ोतरी के चलते खुदरा मुद्रास्फीति छह साल में सबसे अधिक हो गई है. भारतीय अर्थव्यवस्था पर अपनी रिपोर्ट में रिर्जव बैंक भी मुद्रास्फीति को लेकर चिंता जता चुका है.

WPI का काम क्या है?

जब किसी देश में वस्तुओं या सेवाओं की कीमतें सामान्य से अधिक हो जाती हैं तो इस स्थिति को इंफ्लेशन यानी महंगाई कहते हैं. सरल भाषा में कहें तो महंगाई, बाजार में मुद्रा की उपलब्धता और वस्तुओं की कीमतों में बढ़ोत्तरी को मापने की एक तरकीब है.  WPI के जरिए थोक में बिकने वाली वस्तुओं की कीमतों के बारे में जानकारी मिलती है. इसे तीने समूह में बांटा गया है- प्राइमरी वस्तु,  ईंधन और बिजली, और मैन्युफैक्चरिंग उत्पाद. बता दें, भारत में नीतियों के निर्माण में होलसेल प्राइज इंडेक्स (WPI) पर आधारित मंहगाई दर का इस्तेमाल किया जाता है.

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